Friday, 1 May 2015

[07:18, 4/24/2015] Gurbani Uncle: �� मुनि श्री तरूण सागर जी ��

रसोई घर को चौका कहा जाता है। जहाँ चार बातों का विचार किया जाता है वह है चौका। चार बातें हैं -- 1..कब,  2..कितना,  3..कैसे, और 4..क्या। मतलब कब खाना ?,  कितना खाना ?, कैसे खाना ? और क्या खाना ?।......कल तक चौके को रसोईघर कहा जाता था, आज वह किचन हो गया है।.... रसोई घर और किचन में अन्तर है।..... जहाँ रस बरसे वह रसोई है तथा जहाँ किच-किच हो वह किचन है। दबा - दबा कर खाएगा तो फिर दवाखाना भी जाएगा।

������
[13:55, 4/26/2015] Gurbani Uncle: AC डेढ़ टन का लगा लो या दो टन का मगर.......
जो मज़ा बचपन में घर वालों के साथ छोटी मटकी भरकर छत पर सोने में आता था उसका कोई मुकाबला नहीं ।

Missing Childhood.....
[07:15, 4/28/2015] Gurbani Uncle: ��माना कि बरगद और पीपल जैसे विशाल हम नही

पर गमलों मे उगने वाली�� तुलसी भी किसी से कम
नही��
[07:16, 4/28/2015] Gurbani Uncle: "POWER" does not mean you can treat people the way you like...
But it means people cannot treat you the way they like!!.Good Morning

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