Thursday, 21 January 2016
Sunday, 17 January 2016
Friday, 15 January 2016
Wednesday, 6 January 2016
Tuesday, 5 January 2016
Monday, 4 January 2016
[03/01 21:51] +91 94153 07414: 🔷बहुत प्रेरणास्पद कथा🔷
✔अवश्य पढ़ें✔
एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन भ्रमण पर निकले तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राहमण को भिक्षा मागते देखा....
अर्जुन को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस ब्राहमण को स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक पोटली दे दी।
जिसे पाकर ब्राहमण प्रसन्नता पूर्वक अपने सुखद भविष्य के सुन्दर स्वप्न देखता हुआ घर लौट चला।
किन्तु उसका दुर्भाग्य उसके साथ चल रहा था, राह में एक लुटेरे ने उससे वो पोटली छीन ली।
ब्राहमण दुखी होकर फिर से भिक्षावृत्ति में लग गया।अगले दिन फिर अर्जुन की दृष्टि जब उस ब्राहमण पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा।
ब्राहमण ने सारा विवरण अर्जुन को बता दिया, ब्राहमण की व्यथा सुनकर अर्जुन को फिर से उस पर दया आ गयी अर्जुन ने विचार किया और इस बार उन्होंने ब्राहमण को मूल्यवान एक माणिक दिया।
ब्राहमण उसे लेकर घर पंहुचा उसके घर में एक पुराना घड़ा था जो बहुत समय से प्रयोग नहीं किया गया था,ब्राह्मण ने चोरी होने के भय से माणिक उस घड़े में छुपा दिया।
किन्तु उसका दुर्भाग्य, दिन भर का थका मांदा होने के कारण उसे नींद आ गयी... इस बीच
ब्राहमण की स्त्री नदी में जल लेने चली गयी किन्तु मार्ग में
ही उसका घड़ा टूट गया, उसने सोंचा, घर में जो पुराना घड़ा पड़ा है उसे ले आती हूँ, ऐसा विचार कर वह घर लौटी और उस पुराने घड़े को ले कर
चली गई और जैसे ही उसने घड़े
को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धारा के साथ बह गया।
ब्राहमण को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया।
अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में देखा तो जाकर उसका कारण पूंछा।
सारा वृतांत सुनकर अर्जुन को बड़ी हताशा हुई और मन ही मन सोचने लगे इस अभागे ब्राहमण के जीवन में कभी सुख नहीं आ सकता।
अब यहाँ से प्रभु की लीला प्रारंभ हुई।उन्होंने उस ब्राहमण को दो पैसे दान में दिए।
तब अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु
मेरी दी मुद्राए और माणिक
भी इस अभागे की दरिद्रता नहीं मिटा सके तो इन दो पैसो से
इसका क्या होगा” ?
यह सुनकर प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस
ब्राहमण के पीछे जाने को कहा।
रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ जा रहा था कि "दो पैसो से तो एक व्यक्ति के लिए भी भोजन नहीं आएगा प्रभु ने उसे इतना तुच्छ दान क्यों दिया ? प्रभु की यह कैसी लीला है "?
ऐसा विचार करता हुआ वह
चला जा रहा था उसकी दृष्टि एक मछुवारे पर पड़ी, उसने देखा कि मछुवारे के जाल में एक
मछली फँसी है, और वह छूटने के लिए तड़प रही है ।
ब्राहमण को उस मछली पर दया आ गयी। उसने सोचा"इन दो पैसो से पेट की आग तो बुझेगी नहीं।क्यों? न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जाये"।
यह सोचकर उसने दो पैसो में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने कमंडल में डाल लिया। कमंडल में जल भरा और मछली को नदी में छोड़ने चल पड़ा।
तभी मछली के मुख से कुछ निकला।उस निर्धन ब्राह्मण ने देखा ,वह वही माणिक था जो उसने घड़े में छुपाया था।
ब्राहमण प्रसन्नता के मारे चिल्लाने लगा “मिल गया, मिल गया ”..!!!
तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहाँ से गुजर रहा था जिसने ब्राहमण की मुद्राये लूटी थी।
उसने ब्राह्मण को चिल्लाते हुए सुना “ मिल गया मिल गया ” लुटेरा भयभीत हो गया। उसने सोंचा कि ब्राहमण उसे पहचान गया है और इसीलिए चिल्ला रहा है, अब जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत करेगा।
इससे डरकर वह ब्राहमण से रोते हुए क्षमा मांगने लगा। और उससे लूटी हुई सारी मुद्राये भी उसे वापस कर दी।
यह देख अर्जुन प्रभु के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके।
अर्जुन बोले,प्रभु यह कैसी लीला है? जो कार्य थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक नहीं कर सका वह आपके दो पैसो ने कर दिखाया।
श्री कृष्णा ने कहा “अर्जुन यह अपनी सोंच का अंतर है, जब तुमने उस निर्धन को थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक दिया तब उसने मात्र अपने सुख के विषय में सोचा। किन्तु जब मैनें उसको दो पैसे दिए। तब उसने दूसरे के दुःख के विषय में सोचा। इसलिए हे अर्जुन-सत्य तो यह है कि, जब आप दूसरो के दुःख के विषय में सोंचते है, जब आप दूसरे का भला कर रहे होते हैं, तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं, और तब ईश्वर आपके साथ होते हैं।
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धन्यवाद
🚩🙏🙏
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[05/01 08:42] +91 94156 35382: इसे शांत चित्त से पढिए।
हर लडकी के लिए प्रेरक कहानी...
और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा...,
कोई भी लडकी की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है।
...
...
अशोक भाई ने घर मेँ पैर रखा....‘अरी सुनती हो !'
आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली
"अपनी beti का रिश्ता आया है,
अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,
लडके का नाम युवराज है ।
बैँक मे काम करता है।
बस beti हाँ कह दे तो सगाई कर देते है."
Beti उनकी एकमात्र लडकी थी..
घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था ।
कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और beti के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन
अशोक भाई मजाक मेँ निकाल देते ।
Beti खूब समझदार और संस्कारी थी ।
S.S.C पास करके टयुशन, सिलाई काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती ।
अब तो beti ग्रज्येएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी
लेकिन अशोक भाई उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे...
और रोज कहते ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।'
दोनो घरो की सहमति से beti और
युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया.
अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.
अशोक भाई ने beti को पास मेँ बिठाया और कहा-
" बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई...उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज ।
तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये जमा किए है।
यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।.. तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना.'
"OK PAPA" - beti ने छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.
समय को जाते कहाँ देर लगती है ?
शुभ दिन बारात आंगन में आयी,
पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की।
फेरे फिरने का समय आया....
कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे beti दो शब्दो मेँ बोली
"रुको पडिण्त जी ।
मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ बात करनी है,"
“पापा आप ने मुझे लाड प्यार से बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही...
लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ।
इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना
और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार मेँ से बचत की है...
जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ,
मैँ नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पडे !
अगर मैँ आपका लडका होता तब भी इतना तो करता ना ? !!! "
वहाँ पर सभी की नजर beti पर थी...
“पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू वो दोगे ?"
अशोक भाई भारी आवाज मेँ -"हां बेटा", इतना ही बोल सके ।
"तो पापा मुझे वचन दो"
आज के बाद सिगरेट के हाथ नही लगाओगे....
तबांकु, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड दोगे।
सब की मोजुदगी मेँ दहेज मेँ बस इतना ही मांगती हूँ ।."
लडकी का बाप मना कैसे करता ?
शादी मे लडकी की विदाई समय कन्या पक्ष को रोते देखा होगा लेकिन
आज तो बारातियो कि आँखो मेँ आँसुओ कि धारा निकल चुकी थी।
मैँ दूर se us beti को लक्ष्मी रुप मे देख रहा था....
रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब से नही निकाल पा रहा था....
साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??
लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा,
“भ्रूण हत्या करने वाले लोगो को is जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या" ???
कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये।
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या मत कीजये ये आपकी मर्जी
Please save girls....
Aapko किसी कि ksm नहीं h apne kisi khas ki भी नही.....
Agar ye msg aage forward nhi kiya to कोई बात नही.....?
कोई और फॉरवर्ड कर देगा तो फिर आपको वापिस मिलेगा😊
लेकिन पूरा पढ़ने के लिए आपका हार्दिक आभा💐💐💐💐💐m💐💐👏👏👏👏