Wednesday, 18 March 2015

[4:33PM, 3/18/2015] ashish tiwari: => हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,

"रब"  ने.  नवाजा   हमें.  जिंदगी.  देकर;
और.  हम.  "शौहरत"  मांगते   रह   गये;

जिंदगी  गुजार  दी  शौहरत.  के  पीछे;
फिर   जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।

ये   कफन ,  ये.  जनाज़े,   ये   "कब्र" सिर्फ.  बातें   हैं.  मेरे   दोस्त,,,
वरना   मर   तो   इंसान   तभी   जाता  है जब  याद  करने  वाला  कोई   ना. हो...!!

ये  समंदर   भी.  तेरी   तरह.  खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा.  थे.  तो.  तैरने.  न.  दिया.  और मर.  गए   तो   डूबने.  न.  दिया . .

क्या.  बात   करे   इस   दुनिया.  की
"हर.  शख्स.  के   अपने.  अफसाने.  हैं"

जो   सामने.  हैं  उसे   लोग.  बुरा   कहतें  हैं,
जिसको.  देखा.  नहीं   उसे   सब   "खुदा".  कहते.   हैं.!!!
[6:35PM, 3/18/2015] pawan bharti: शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं.
- ग़ालिब

मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं.
- इक़्बाल

काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,
खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं.
- फ़राज़

खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा, वहाँ पीना मना नहीं.
- सईयद वसी शाह

पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौनसा ग़म है, इसलिए वहाँ पीने में मजा नहीं.
- साक़ी

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