Wednesday, 5 August 2015

मंजिल चाहे कितनी भी
   ऊँची क्यों न हो
रास्ते हमेशा 
  पैरों के नीचे होते हैं!

जो निखर कर बिखर जाए
   वो "कर्तव्य" है और...
जो बिखर कर निखर जाए
    वो "व्यक्तित्व" है!!!

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