[08:07, 4/15/2015] So Baruasagar: एक ने बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, फारवर्ड करने से खुद को रोक नहीं पाया ....
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है
और
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते.............
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!
प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।
और....
जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।
जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।
और….
जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।
जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...
क्योकि वो कठोर होते है।
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी खुशी...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
किस्मत बदल देती हैं.।।
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"
[08:07, 4/15/2015] So Baruasagar: . Very nice msg.. Read twice..
जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं:
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।
जीवन का सबसे बड़ा अपराध -
किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि -
किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।
जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।
मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।
दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता।
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है।
मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह
नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि,
कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में
मायूसी पैदा करती है।
कौन देता है उम्र भर का सहारा।
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।
♻ सुखी जीवन के ६ मन्त्र ♻
☑ अगर 'पूजा' कर रहे हो - तो 'विश्वास' करना सीखो !
☑ 'बोलने' से पहले - 'सुनना' सीखो !
☑ अगर 'खर्च' करना है - तो 'कमाना' सीखो !
☑ अगर 'लिखना' है - तो 'सोचना' सीखो !
☑ 'हार' मानने से पहले - फिर से 'कोशिश' करना सीखो !
☑ 'मरने' से पहले - खुल के 'जीना'
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[08:07, 4/15/2015] So Baruasagar: आहिस्ता चल जिंदगी,अभी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है
रफ़्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
रूठों को मनाना बाकी है
रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं
कुछ काम भी और जरूरी हैं
जीवन की उलझ पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह बात बताना बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है !
[08:33, 4/15/2015] So Baruasagar:
रामायण मे दो ऐसे व्यक्ती थे...
एक विभीषण और एक कैकेयी...
विभीषण रावण के राज मे रहता था
फिर भी नही बिगडा...
कैकेयी राम के राज मे रहती थी
फिर भी नही सुधरी..!!
तात्पर्य...
सुधरना एवं बिगडना केवल मनुष्य के सोच और स्वभाव पर निर्भर होता है
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