Thursday, 2 April 2015

जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में वक़्त नहीं लगता
.हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में वक़्त नहीं लगता.,
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का ,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे
रास्तों का .. ..

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आग लगी थी. . मेरे घर को
किसी सच्चे
दोस्त ने पूछा -:"क्या बचा है. . ? ?".
मैने कहा -: "मैं बच गया हूँ. . ! !".
उसने गले लगाकर कहा -:
"फिर जला ही क्या है।"

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एक बुजुर्ग से किसी ने पूछा "जब भगवान के भजन सुनने में बैठते है तो जल्दी नींद आ जाती है और जब कोई महफिल की दुनिया या कोई सगींत (D J) का कार्यक्रम हो तो सारी रात नींद नहीं आती"ऐसा क्यूँ...?
बुजुर्ग ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया:- "नींद हमेशा फूलों की सेज पर आती है
काँटो के बिस्तर पर नहीं...

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अपनी कीमत उतनी रखिए,
जो अदा हो सके !
अगर अनमोल हो गए तो,
तन्हा हो जाओगे..!
खेल ताश का हो या ज़िन्दगी का,
अपना इक्का तभी दिखाना जब सामने
वाला बादशाह निकाले..

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मिट्टी में ही होती है .............
.........पकड़ मजबूत पैरों की।..
संगमरमर पर अक्सर मैंने
           लोगो को फिसलते देखा है!!

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कोई तो लिखता होगा इन कागज़ के ज़र्रों और इन पत्थरों का नसीब,
वरना यह मुमकिन नहीं कि कोई पत्थर ठोकर खाए,और कोई भगवान हो जाए....
कोई कागज़ रद्दी बन जाए तो कोई कागज़ गीता या कुरआन हो जाए...!

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